Thursday, September 20, 2012

हंसने की चाह ने कितना मुझे रुलाया है
कोई हमदर्द नहीं दर्द मेरा साया है

दिल तो उलझा ही रहा  ज़िन्दगी की बातों में
साँसे चलती हैं  कभी कभी रातों में
किसी की आह पे तारों को प्यार आया है
कोई हमदर्द नहीं दर्द मेरा साया है

सपने छलते ही रहे रोज़ नयी  राहों से
कोई फिसला है अभी अभी बाहों से किसकी ये आहटें
 ये कौन मुस्कराया है 
कोई हमदर्द नहीं दर्द मेरा साया है



Creative Commons License
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-Noncommercial-Share Alike 3.0 Unported License.