प्रार्थना
हे इश्वर,
प्रश्न मेरे मन से हर ले, चित्त को शांत इतना कर दे
मिथ्या अपने विवेक के वश में, व्यर्थ तेरी माया समझने की हवश में
न विचलित यूँ ही भटकता रहूँ।
चतुराई में अपने न करू खोखली विवेचनाएँ,
न अहम् के चश्मे से ताकू तेरी रचनाएँ
बुद्धि यदि बनती है बाधा प्रभु, बुद्धि मुझसे छीन ले ।
प्रश्न मेरे मन से हर ले, चित्त को शांत इतना कर दे
मिथ्या अपने विवेक के वश में, व्यर्थ तेरी माया समझने की हवश में
न विचलित यूँ ही भटकता रहूँ।
चतुराई में अपने न करू खोखली विवेचनाएँ,
न अहम् के चश्मे से ताकू तेरी रचनाएँ
बुद्धि यदि बनती है बाधा प्रभु, बुद्धि मुझसे छीन ले ।
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