Thursday, April 02, 2009

व्यक्तिगत दिन

आज का दिन व्यक्तिगत बीता
ना हजामत की, न घंटे भर कसरत किया
काम पर कुरते में गया, कमरे के बाहर
चपरासी को कनखियों से देख कर
उसके अस्तित्व से अभिज हुआ ।

आज व्यापारिक समाचार को भूल कर
बेफिक्र पढ़े मनोरंजक क्षेत्रीय ख़बर
ऑफिस के मशीन की बासी काफ़ी पीने के बजाय
बाहर निकल कर ठेले वाले की ताज़ा चाय
और गरमा गर्म पकोरियाँ का मजा लिया ।

घर के रास्ते में जब कुछ भिखमंगे मिले
विवेचना बिना मैंने उन्हें पैसे दिए
आज न बुद्धीजीवी था ना ही न्यायाधीश था
आज आम सामान्य उभयनिष्ठ रहा
आज सामाजिक नहीं, मेरा दिन व्यक्तिगत बीता ।

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2 Comments:

Blogger Megha said...

If everyday would go by like that..

5:02 AM  
Blogger Stranger said...

Poetic experience. Good to have it when u have no time for relaxation.

9:26 AM  

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